युद्ध के पश्चात हनुमान जी ने अयोध्या प्रशासन को संजीवनी बूटी लाने के लिए की गयी यात्रा का TA Bill प्रस्तुत किया। .....
Auditor ने ३ ऑब्जेक्शन लगाए :
१- हनुमान जी ने उस समय के राजा (भरत ) से यात्रा की पूर्व अनुमति नहीं ली।
२- च्युंकि हनुमान जी ग्रेड २ के अफसर हैं। अतः इन्हें हवाई यात्रा की अनुमती नहीं थी।
३- इन्हें केवल संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा था, परन्तु इन्होने पूरा पहाड़ उठा कर ज्यादा लगेज के साथ यात्रा की।
ऑडिटर ने बिल वापस कर दिया।
राजा राम कुछ नहीं कर पाए और बिल पुनः परीक्षण के लिए मार्क कर दिया।
चिंतित हनुमान जी ऑडिटर के पास पहुंचे और TA बिल का 20% ऑफर किया।
अब ऑडिटर ने पुनः परिक्षण किया और इस प्रकार Objection Remove किये-
१- उस समय राम अपनी पादुका के माध्यम से राजा थे, अतः उनकी अनुमति से यात्रा की गयी।
२- आपातकाल स्थिति में लक्ष्मण का जीवन बचने के लिए की गयी यात्रा में ग्रेड २ अफसर को भी हवाई यात्रा की अनुमति है।
३- यदि गलत पौधा आ जाता, तो पुनः यात्रा में ज्यादा खर्च होता।
अतः अधिक लगेज की अनुमति देते हुए बिल पास किया जाता है।
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जय हो अकाउंट विभाग की !!!
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Auditor ने ३ ऑब्जेक्शन लगाए :
१- हनुमान जी ने उस समय के राजा (भरत ) से यात्रा की पूर्व अनुमति नहीं ली।
२- च्युंकि हनुमान जी ग्रेड २ के अफसर हैं। अतः इन्हें हवाई यात्रा की अनुमती नहीं थी।
३- इन्हें केवल संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा था, परन्तु इन्होने पूरा पहाड़ उठा कर ज्यादा लगेज के साथ यात्रा की।
ऑडिटर ने बिल वापस कर दिया।
राजा राम कुछ नहीं कर पाए और बिल पुनः परीक्षण के लिए मार्क कर दिया।
चिंतित हनुमान जी ऑडिटर के पास पहुंचे और TA बिल का 20% ऑफर किया।
अब ऑडिटर ने पुनः परिक्षण किया और इस प्रकार Objection Remove किये-
१- उस समय राम अपनी पादुका के माध्यम से राजा थे, अतः उनकी अनुमति से यात्रा की गयी।
२- आपातकाल स्थिति में लक्ष्मण का जीवन बचने के लिए की गयी यात्रा में ग्रेड २ अफसर को भी हवाई यात्रा की अनुमति है।
३- यदि गलत पौधा आ जाता, तो पुनः यात्रा में ज्यादा खर्च होता।
अतः अधिक लगेज की अनुमति देते हुए बिल पास किया जाता है।
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जय हो अकाउंट विभाग की !!!
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