जेबकतरा

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बस से उतरकर *जेब* में हाथ डाला।
मैं चौंक पड़ा।
 जेब *कट* चुकी थी। :(
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 *जेब* में था भी क्या?
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कुल *90* रुपए
और *एक खत,*
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जो मैंने
 *माँ* को लिखा था कि— :)

मेरी *नौकरी* छूट गई है; :(

अभी *पैसे* नहीं भेज पाऊँगा। :( :/

 तीन दिनों से वह *पोस्टकार्ड* जेब में  पड़ा था। :3

 *पोस्ट* करने को *मन* ही नहीं कर रहा था। :3

*90 रुपए* जा चुके थे।  :D
यूँ *90 रुपए* कोई
 *बड़ी रकम* नहीं थी, :(

लेकिन जिसकी *नौकरी छूट* चुकी हो,
उसके लिए *90 रुपए* ,, *नौ सौ* से कम
 नहीं होते। :(

 कुछ दिन गुजरे।  :)
*माँ* का *खत* मिला। :*

 *पढ़ने* से पूर्व मैं *सहम* गया। :O

 जरूर *पैसे भेजने* को लिखा होगा।…. :3

लेकिन,
*खत* पढ़कर
मैं *हैरान* रह गया। :(

 *माँ* ने लिखा था— *“बेटा,* तेरा *1000 रुपए*
 का भेजा हुआ *मनीआर्डर* मिल गया है। :)
.
 तू कितना *अच्छा* है रे!… :)
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*पैसे* भेजने में
 कभी *लापरवाही* नहीं बरतता। :)


मैं इसी *उधेड़- बुन* में लग गया कि आखिर
 *माँ* को *मनीआर्डर* किसने भेजा होगा? O.o

कुछ *दिन* बाद,
एक और *पत्र* मिला। :)
.
 *चंद लाइनें* थीं— *आड़ी तिरछी।*
 बड़ी *मुश्किल* से *खत* पढ़ पाया।
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 लिखा था— *“भाई,*
 *90 रुपए* तुम्हारे
और
*910 रुपए* अपनी ओर से मिलाकर मैंने
 तुम्हारी *माँ* को *मनीआर्डर* भेज
 दिया है।
*फिकर न करना।….* :) ;)

*माँ* तो सबकी *एक-जैसी* होती है न। :) ;)

*क्या तेरी और क्या मेरी*

 *वह क्यों भूखी रहे?…* ;) :)

*तुम्हारा—जेबकतरा👌👌..* :)

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